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Thursday, 4 May 2017

SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण की दिशा में आगे बढ़ रही मोदी सरकार



महेंद्र सिंह, नई दिल्ली सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लोगों को प्रमोशन में आरक्षण देने के प्रस्ताव पर मोदी सरकार आगे बढ़ने जा रही है। हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) ने अपनी एक रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपी। इसमें बताया गया, 'बराबर के मौके मुहैया कराने और समावेशी विकास के लिए एससी और एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण जारी रखना जरूरी है।'

2006 में एम नागराजन केस में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के फैसले के आधार पर प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ कई न्यायिक आदेश पास हुए। इसके बाद इस मामले पर पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में मार्च 2016 में एक बैठक हुई। बैठक के बाद डीओपीटी से एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया। बता दें कि 2006 में सुप्रीम कोर्ट बेंच के फैसले के मुताबिक, सरकार को एससी, एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने का अधिकार देने वाला संविधान का आर्टिकल 16 (4A) अनिवार्य नहीं है। आदेश के मुताबिक, यह प्रावधान कुछ निश्चित शर्तों के साथ ही लागू किया जा सकता है। ये शर्तें हैं-पिछड़ापन, प्रतिनिधित्व की कमी दूर करना और प्रशासनिक कार्यकुशलता को बेहतर करना


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डीओपीटी की रिर्पोट के मुताबिक, कोटा पॉलिसी के तहत तयशुदा एसी का 15 प्रतिशत और एसटी का 7.5 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का लक्ष्य कई विभागों में हासिल ही नहीं किया जा सका। अटॉर्नी जनरल से मशविरा करके तैयार की गई यह रिपोर्ट कहती है कि विकास के पैरामीटर पर एससी, एसटी समुदाय के लोग आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक तौर पर अन्य समूहों से काफी पीछे हैं। रिपोर्ट कहती है कि इनकी तरक्की के लिए सकारात्मक ऐक्शन लिए जाने की जरूरत है। 

इस रिपोर्ट को मोदी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से निपटने की दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। देश के विभिन्न अदालतों के फैसलों ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एससी, एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देना मुश्किल बना दिया है। ऐसे ही कई न्यायिक फैसलों और बीएसपी जैसी पार्टियों के दबाव के चलते यूपीए सरकार ने संविधान में 117वें संशोधन का बिल 2012 में पेश में किया, लेकिन यह संसद में पास नहीं हो सका। 


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