नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज ने चार साल की बच्ची से बलात्कार और फिर पत्थर मारकर उसकी हत्या करने के जुर्म में दोषी 55 साल के व्यक्ति की मौत की सजा बरकरार रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया कि 2008 में नागपुर में 4 साल की बच्ची से रेप और हत्या के मामले में दोषी वसंत संपत दुपारे की फांसी की सजा बरकरार रहेगी.
Review petition of Vasant Dupare who was given death sentence for rape and murder of a minor in 2008 dismissed by Supreme Court
कोर्ट ने दुपारे की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरीके से दोषी ने चार साल की मासूम बच्ची से रेप और हत्या की क्रूर वारदात को अंजाम दिया, हमारी राय में कोई राहत नहीं दी जा सकती.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हत्यारे के वकील से सवाल किया था कि क्या किसी राक्षस या आतंकवादी के सुधरने की गुंजाइश नहीं होती? क्या एक ऐसे आतंकी जिसने एक बार ही बम धमाका कर 20 लोगों की जान ली हो और इससे पहले उसने कोई अपराध ना किया हो, वो सुधर नहीं सकता? ऐसे में क्या आंतकी को भविष्य में सुधरने के लिए सजा में छूट दी जा सकती है? अगर राज्य किसी दोषी को सुधारने में नाकाम हो तो क्या दोषी को इसका फायदा दिया जा सकता है?
इससे पहले पिछले साल अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर में 4 साल की बच्ची से रेप के बाद पत्थर से उसकी हत्या करने वाले 53 साल के वसंत संपत दुपारे की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नाबालिग बच्ची से रेप और कुछ नहीं बल्कि अंधेरे में पाशविक हरकत से उसकी इज्जत को धूल धूसरित करना है. यह कन्या के समूचे शरीर और समाज की आत्मा के प्रति अपराध है और इसे करने के तरीके से यह अपराध अधिक गंभीर हो जाता है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की कैटिगरी में आता है.
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